Issue 61 – शिक्षण सामग्री हेतु समूहों की एकजुटता


इस वर्ष समाज प्रगति सहयोग (एस पी एस) संस्था द्वारा शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई । इसका उद्देश्य था समुदाय या समूह के स्तर पर सदस्यों के बच्चों के लिए शिक्षा पर जो मोटा खर्च आता है, उसे कम करना ।

भीकुपुरा गांव के सरकारी स्कूल के छात्रों को पुंजापुरा प्रगति समिति के कार्यकर्ता नोटबुक वितरित करते हुए

एक स्कूली छात्र को विभिन्न विषयों के लिए एक ही शैक्षणिक वर्ष में कई प्रकार की नोटबुक की आवश्यकता होती है, जैसे किसी विषय के लिए वन-लाइन, किसी अन्य विषय के लिए टू-लाइन या थ्री-लाइन, या फिर फ़ोर-लाइन वाली नोटबुक, जिनमें वे हिन्दी, अंग्रेज़ी और अन्य विषयों के अनुसार काम करते हैं । आज के समय में, जहां नोटबुक बहुत महंगी हो गई हैं, यह खर्च एक धाड़की (देहाड़ी) मजदूरी करने वाले परिवार के लिए बहुत भारी पड़ता है । ग़रीब परिवारों में कई बच्चों के माता-पिता पर्याप्त नोटबुक नहीं ख़रीद पाते हैं । और जब बच्चों को समय पर नोटबुक नहीं मिल पाती हैं तो उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।

जब कई महिला बचत समूहों में इस बात को लेकर परेशानी व्यक्त की गई, एस पी एस के कार्यकर्ताओं ने निर्णय लिया कि बच्चों की शिक्षा के संदर्भ में इन परिवारों का समर्थन किया जाए ।

बड़वाह महिला प्रगति समिति के समूह सदस्यों को अच्छी गुणवत्ता वाली नोटबुक मिलीं

महिला बचत समूह के स्तर पर सभी सदस्यों से चर्चा की गई कि उन्हें अपने बच्चों के लिए किस तरह की और कितनी नोटबुक की आवश्यकता है इसकी सूची बनाई जाए । संस्था के कई कार्य-स्थानों पर, गांवों में और छोटे शहरों में, समूहों ने अपनी-अपनी सूचियां तैयार कीं । नौ लोकेशन – भिकनगांव, सनावद, बड़वाह, महेश्वर, पुंजापुरा, बागली, हाटपिपलिया, खातेगांव, सतवास – के समूहों से अलग-अलग प्रकार की कुल 54,265 नोटबुक की मांग आई । बाज़ार में नोटबुक किस क़ीमत पर मिल सकती हैं, यह सर्वे करने के लिए भिकनगांव, बड़वाह, बागली और हाटपिपलिया समितियों से 11 सदस्यों की एक कमिटी बनाई गई । इस कमिटी ने विभिन्न विक्रेताओं से कोटेसन लिए और सभी के नियम एवं शर्तों की समीक्षा करके इंदौर से एक अच्छी गुणवत्ता वाले ब्रांड का चयन किया, जहां वेन्डर वाजिब क़ीमत पर बेचने के लिए तैयार था ।

एक ही व्यापारी से थोक में इतनी सारी नोटबुक ख़रीदने पर प्रत्येक नोटबुक पर 40 से 50 प्रतिशत की छूट मिली । हर जगह पर जिन-जिन समूह सदस्यों ने अपने बच्चों के लिए नोटबुक ख़रीदीं उन्हें यह फ़ायदा हुआ । एक वितरक (डिस्ट्रीब्यूटर) चुना गया, जिसके द्वारा सारी नोटबुक संस्था के उन नौ लोकेशन में उपलब्ध करवाई गईं ।

बड़वाह महिला प्रगति समिति कार्यालय

भीकुपुरा गांव के सरकारी स्कूल के छात्र

भिकनगांव प्रगति समिति कार्यालय

करनावद गांव में हाटपिपलिया नारी प्रगति समिति नोटबुक वितरण करती हुई

यूं सभी बच्चों को अच्छी बनावट वाली नोटबुक मिलीं, जबकि बाज़ार में कम पैसों में सिर्फ़ हल्के कागज़ की नोटबुक मिलती हैं, जिनके पन्ने लिखते समय फट जाते हैं । इसके अलावा हल्के कागज़ पर स्याही की लिखाई कागज़ के आर-पार नज़र आने लगती है, जिससे पढ़ना और लिखना दोनों दूभर हो जाते हैं । फिर बारिश के मौसम में ये दिक्कतें नमी के कारण और बढ़ जाती हैं ।

पांच लोकेशन में समूह सदस्यों को नोटबुक का सीधा वितरण किया गया । दो अन्य लोकेशन में समूहों ने चर्चा करके नोटबुक की राशि अपने सामाजिक कोष से देने का निर्णय लिया । इन दो समहों में धाड़की मजदूरी करने वाली और एक से दो बीघा ज़मीन वाली सीमांत किसान महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो अपनी आय से बचत करके समूह में पैसे जमा करती हैं । उस बचत के आधार पर समूह से लोन लेती हैं । समूह की समस्त अर्जित आय में से समूह के समस्त खर्च घटाने के बाद शेष राशि सामूहिक कोष कहलाता है, जिसका 50% सदस्यों में वितरण के लिए होता है, 30% आपातकाल कोष के लिए और 20% हिस्सा सामाजिक या सोशल फ़ंड के लिए होता है । सामाजिक फ़ंड समूह द्वारा निर्णय अनुसार समुदाय के हित में खर्च किया जाता है । हाटपिपलिया लोकेशन ने 2,410 छात्रों को रु. 7,05,266 की 18,892 नोटबुक बांटी हैं । पूंजापुरा लोकेशन ने 1,000 छात्रों को रु. 3,50,074 की 9,698 नोटबुक बांटी हैं ।

इस तरह सभी लोकेशन में नोटबुक वितरण हुआ। बाज़ार के मूल्यों के हिसाब से रु. 41,89,335 की कॉपियां समूहों ने रु. 20,44,177 में प्राप्त कीं, और 5,074 परिवार लाभान्वित हुए ।

हाटपिपलिया सरकारी स्कूल के छात्र अच्छी गुणवत्ता वाली नोटबुक के साथ

एस पी एस द्वारा की जा रही यह पहल निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में, जो सामाजिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, सकारात्मक बदलाव ला रही है । और इसके तो कितने सारे उदाहरण मिलते हैं कि जब महिलाएं इस बदलाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती हैं, समाज अधिक सशक्त होता है ।

हाटपिपलिया सरकारी स्कूल की छात्राए अच्छी गुणवत्ता वाली नोटबुक के साथ

समूह सदस्यों के कुछ अनुभव

आकांक्षा प्रगति समूह से नीता वर्मा: 
“बाज़ार में यह 100 रुपए MRP वाली कॉपी 80/- से 95/- में मिल रही है, जबकि समूह में 52/- में ही मिल रही है । हमें इस गतिविधि में स्कूल बैग और पेन्सिल भी करना चाहिए । स्कूल तो फ़िक्स दुकान पर जाने का बोलते हैं, हमने स्कूल को समझाया और उन्होंने हमें समूह से बच्चों के लिए नोटबुक ख़रीदने की सहमति दे दी है ।

सखी सहेली प्रगति समूह से सारिका गंगराडे:
नोटबुक गतिविधि बहुत ही महत्वपूर्ण है । इससे हमें और हमारे समूहों को हज़ारों रुपये की बचत हुई है । यह गतिविधि हर वर्ष होनी चाहिए ।”

भिकनगांव लोकेशन सहयोगी का विवरण – अखिलेश यादव, गोविन्द, सुंदरलाल रावत, सुनील कुमार रावत: सभी सदस्य स्वयं बच्चों के साथ ऑफिस में कॉपियां (नोटबुक) लेने आ रहे हैं । जब दीदी को नोटबुक का बिल दिया जाता है तो वे उसे देखकर बोलती हैं, “एक काम करो भैया, कुछ कॉपियां और दे दो ।”अधिकांश दीदियों ने कहा कि हम इस कार्यक्रम को हर वर्ष चालू रखें, बंद न करें । जब हमने कॉपी बांटनी शुरू की, कुछ सदस्यों ने बाज़ार में दुकानदार को समूह का हवाला देकर कहा कि उन्हें समूह की ओर से 50% छूट में कॉपी मिल रही है– तो दुकानदारों ने भी 30 से 40% छूट पर कॉपी बेचनी शुरू कर दी ।

बड़वाह समूह की एक सदस्य का कहना:
मैं खेती करती हूं, मेरे तीन बच्चे हैं, मैं उनकी ज़रूरत के अनुसार बाजार से कॉपी नहीं दिला पाती हूं । बाजार से जितनी राशि में आधी कॉपी लाती हूं, समूह से उससे कम राशि में मुझे सभी कॉपी मिल गईं ।” (यानी बाज़ार के हिसाब से केवल आधी कॉपियों पर होने वाली लागत से भी कम दाम पर उन्हें समूह के ज़रिए सारी कॉपियां मिल गईं ) 

हाटपिपलिया से एक विवरण:
जब नोटबुक वितरण किया जा रहा था, बच्चों के चेहरों पर अलग ही ख़ुशी देखने को मिली । बच्चों को समूह की सोच के बारे मे बताया गया कि यह कार्यक्रम महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, जो अपने समूह की कमाई के हिस्से को समाज कल्याण के लिए दे रही हैं । स्कूल एवं गांव वालों ने बोला कि पहली बार ऐसा हुआ कि किसी संस्था के समूह सदस्यों ने बच्चों के बारे में सोचा । इस तरह महिला सदस्यों की काफ़ी तारीफ़ हुई ।

अंत में मानना होगा कि अपनी निजी आर्थिक स्थिति के बावजूद, छात्रों की मदद के लिए इन महिलाओं का इस तरह आगे आना सही मायने में अनुकरणीय कदम रहा ।

लेखन: आज़ाद सिंह खिची

स्त्रोत: अखिलेश यादव

फोटोग्राफी: अंकिता कुडूपले, आज़ाद सिंह खिची, जितेंद्र खराड़िया, अभिषेक चौहान, महोम्मद ताहा और नंदलाल रावत


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