Issue 47 -पुनर्वास गांव, बड़ोदा माफ़ी पंचायत में नई राशन की दुकान


बड़ोदा माफ़ी ग्राम पंचायत के पुनर्वास गांव में राशन की दुकान नहीं थी । पुनर्वास और उसके पड़ोस के गांव बड़ोदा माफ़ी के लोगों को दो से ढाई कि.मी. का रास्ता तय करके एक दिन की मजदूरी छोड़कर राशन लेने सतवास जाना पड़ता था । राशन की दुकान बंद होने से या राशन ख़त्म हो जाने से लोगों को कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता था और इस वजह से दो से तीन दिनों की मजदूरी भी चली जाती थी ।

जनवरी 2024 को हिस्सेदारी सभा मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा हुई । बचत समूह की महिला सदस्य और गांव की अन्य महिलाएं हिस्सेदारी सभा की सदस्य होती हैं । इन बैठकों में गांव के लोग स्वयं आगे आकर अपने हक़ों और अधिकारों के बारे में जानें और गांव के विकास-कार्य में भागीदारी करें, यही हिस्सेदारी सभा का मक़्सद है । बैठकों के माध्यम से महिलाएं संगठित होकर गांव के विकास-कार्यों के लिए आवाज़ उठाती हैं, और शासन की योजनाओं का लाभ हर हितग्राही तक पहुंचाने का प्रयास भी करती हैं ।

अगली ग्राम सभा मीटिंग में भी हिस्सेदारी सभा की सदस्याओं ने इस मुद्दे को उठाया । सरपंच महोदय ने ग्राम सभा मीटिंग में “ठहराव-प्रस्ताव” बनाकर आगे की रूपरेखा तैयार करने को कहा । उसके बाद समाज प्रगति सहयोग संस्था की ‘पात्रता स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम’ टीम ने हिस्सेदारी सभा की लीडर जागृति दीदी और अनीता दीदी के सहयोग से एक सर्वे किया, और पाया कि दोनों गांवों में 933 परिवार हैं, जिनमें से मध्य प्रदेश  सरकार के खाद्य क़ानून के अंतर्गत 581 परिवार राशन पात्रता पर्ची के हितग्राही हैं, और उन्हें पर्चियां उपलब्ध करवाई गईं ।

इसके बाद हिस्सेदारी सभा के सदस्यों ने जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी और खाद्य अधिकारी, कन्नौद, को लिखित आवेदन दिए । सदस्यों ने पंचायत सचिव के द्वारा भी आगे की प्रक्रिया करवाई ताकि जल्द से जल्द गांव में राशन की दुकान खुल सके । जागृति दीदी और अनीता दीदी हर 15 दिनों में सरपंच-सचिव से पूछती रहती थीं, “आवेदन का क्या हुआ ? किस स्थिति में है ? इस बार कोई हल निकलेगा कि नहीं ?”  हिस्सेदारी सभा के सदस्यों का मानना था कि पहले जानकारी की कमी होने के कारण वे सरकारी अधिकारियों से पूछ भी नहीं सकती थीं कि उनके गांव में काम क्यों नहीं हो रहा है, या फिर सरकार से उन्हें क्या-क्या अधिकार मिले हैं ।

अब उनको इस बारे में हिस्सेदारी सभा की मीटिंग में विस्तार से जानकारी मिलती है । किसी समस्या को सरकार के साथ मिलकर कैसे हल करना है, उस पर भी चर्चा होती है और उसकी रूपरेखा भी बनाई जाती है ।

ग्रामवासियों और हिस्सेदारी सभा के सदस्यों के लगातार प्रयास से 01-03-24 को पुनर्वास गांव में नई राशन दुकान का उद्घाटन  हुआ । इससे ‘पात्रता स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम’ टीम व गांव के लोगों को लगने लगा है कि अब गांव की किसी भी ज़रूरत के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा । पुनर्वास की राशन की दुकान में बड़ोदा माफ़ी गाँव के लोग भी शामिल हो गए हैं, क्योंकि दोनों गांवों के बीच सिर्फ़ एक कि.मी. की दूरी है ।

समाज प्रगति सहयोग संस्था का ‘पात्रता स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम’ सरकार की योजनाओं से वंचित लोगों को जोड़ने के अलावा विकास-संबंधित कार्यों में गांव के अन्य लोगों के साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने का कार्य करती है । और हिस्सेदारी सभा में महिला सदस्यों के द्वारा लगातार इन मुद्दों पर चर्चा करने से इन समस्याओं का हल निकलना शुरू हुआ है ।

छायांकन: प्रीतम गुर्जर और सुदामा गुर्जर

लेखन: सुनिल उपाध्याय

संपादन: संदीप भाटी


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