Issue 49 – स्माइलखेड़ी गाँव की महिलाओ ने अपने गाँव की लड़कियों को कंप्यूटर शिक्षा दिलाने के लिए किया प्रबन्ध।


‘हम अपनी लड़कियों को आधुनिक शिक्षा की तरफ़ कैसे ले जा सकते हैं ?’ इसी सवाल के जवाब में इस्माइलखेड़ी के प्रगति समूह की दीदियों द्वारा एक नई पहल की गई, यानी लड़कियों के लिए कंप्यूटर क्लास l

हुआ यूं, कि हाटपिपलिया नारी प्रगति समिति ने जनवरी 2023 से महिलाओं और लड़कियों को आधुनिक शिक्षा देने के लिए एक कंप्यूटर कोर्स शुरु किया, जिसमें सभी को शिक्षा लेने का मौक़ा दिया गया l हाटपिपलिया नारी प्रगति समिति पिछले एक वर्ष से समुदाय के लोगों के साथ मिलकर गांव की बेटियों और महिलाओं को कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान दे रही है l अब तक 195 बच्चों और महिलाओं ने तीन माह का कोर्स करके कंप्यूटर का ज्ञान अर्जित किया है l

इस्माइलखेड़ी गांव में पांच प्रगति समूह संचालित हैं l और इन सभी समूहों में यही सवाल उठा, कि हम कैसे अपनी लड़कियों को रोज़ाना हाटपिपलिया भेज सकते हैं l इस्माइलखेड़ी ग्राम हाटपिपलिया शहर से 11 कि.मी. की दूरी पर है l गांव के अधिकतर लोग मजदूरी पर आधारित हैं l इस्माइलखेड़ी से हाटपिपलिया तक आवागमन का कोई नियमित साधन नहीं है, जिसके कारण लोगों को आने-जाने मे बहुत समस्या होती है – यदि किसी काम से शहर तक आना ज़रूरी हो जाए तो वाहन का इंतज़ाम स्वयं करना पड़ता है l ऐसे में एक के बजाय दो लोगों की एक दिन की मजदूरी भी चली जाती है l तो कंप्यूटर क्लास के लिए लड़कियों को कैसे भेज पाएंगे, इस समस्या के साथ एक वर्ष बीत जाता है और ग्राम इस्माइलखेड़ी की लड़कियां इस विशेष आधुनिक शिक्षा से साल-भर वंचित रहती हैं l

अगले वर्ष, जब जनवरी 2024 में कंप्यूटर की नई बैच शुरू होने वाली थी, इस्माइलखेड़ी की समिति कोषाध्यक्ष सोरम दीदी ने समूह की सभी दीदियों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अगर हमें अपनी लड़कियों को कंप्यूटर सिखाना है, और उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है, तो हमारे समूहों में सामाजिक विकास के लिए जो “सोशल फंड” के पैसे हैं, उसका उपयोग हम गांव की बेटियों की शिक्षा के लिए कर सकते हैं l क्योंकि सोरम दीदी हमेशा ही गांव-हित के कामों में अपना पूरा सहयोग देती आई हैं, गांव में सभी उनकी बात मानते हैं और उनपर विश्वास भी करते हैं l दीदी की इस बात को भी सभी ने माना और अपने सोशल फंड का उपयोग गांव की लड़कियों की शिक्षा के लिए करने का निर्णय लिया l जब सोरम दीदी ने समिति मीटिंग में यह बात रखी कि इस्माइलखेड़ी के सभी समूह अपने-अपने फंड से कुछ राशी शिक्षा पर खर्च करना चाहते हैं तो सभी ने उनकी और गांव की अन्य महिलाओ की शिक्षा के प्रति जागरूकता को सराहा l समिति मीटिंग मे यह तय किया गया कि हमें एक गाड़ी की व्यवस्था करनी चाहिए, जिसकी मदद से रोज़ाना गांव की लड़कियों को हाटपिपलिया आने-जाने की सुविधा मिले और कंप्यूटर शिक्षा तक उनकी भी पहुंच बने l इस सोच के साथ एक वैन की व्यवस्था की गई, व रु. 11,000 प्रतिमाह गाड़ी का भाड़ा निश्चित हुआ l वैन चालक इस्माइलखेड़ी गांव से ही रखा गया ताकि समय-समय पर सभी दीदियां निगरानी भी रख पाएं l

29 जनवरी से इस्माइलखेड़ी गांव से 10 लड़कियों ने हाटपिपलिया नारी प्रगति समिति द्वारा संचालित कंप्यूटर क्लास में दाखला लिया और वैन से नियमित आना-जाना शुरू कर दिया l सुबह 9 से 1:30 तक ये लड़कियां अब कंप्यूटर शिक्षा लेने लगीं lलड़कियां बेहद ख़ुश हैं क्योंकि अब मूल समस्या का समाधान हो चुका है और वे मन लगाकर कंप्यूटर सीख रही हैं, इस उम्मीद से कि इस तकनीकी शिक्षा से उन्हें अपना करियर चयन करने में मदद मिलेगी l साथ ही उनका आत्मविश्वास मज़बूत हुआ है l अप्रैल में उन 10 लड़कियों ने अपनी कंप्यूटर की प्राथमिक शिक्षा पूरी भी कर ली है l समिति द्वारा जिन महिलाओं ने कंप्यूटर कोर्स किया है, वे अब कंप्यूटर से वाक़िफ़ हो चुकी हैं l जब भी वे बैंक के अपने किसी काम के लिए “कियोस्क सेंटर” जाती हैं तो वहां रखे कंप्यूटर पर अपनी निगाह रखती हैं कि सेंटर वाले भैया ने कितनी राशी डाली है और अब मेरे खाते में क्या बेलेंस है, इसी के साथ डिजिटल ज्ञान होने से उन्हें मोबाईल के इस्तेमाल में भी मदद मिली है l और बच्चों की बात करें, तो उन्हें भी कंप्यूटर की जानकारी भविष्य में जॉब के बेहतर अवसर दिलाएगी l गांव के पांचों समूहों द्वारा प्रतिमाह रु. 2,200 गाड़ी चालक के खाते में ट्रांस्फ़र कर दिए जाते हैं l और समूह से जुड़ी दीदियां भी लड़कियों की शिक्षा में अपना योगदान देकर बहुत ख़ुश हैं l इस्माइलखेड़ी गांव की समूह दीदियां लड़कियों की शिक्षा को लेकर एक नई सोच की मिसाल हैं l उनका मानना है कि लड़कियों का पढ़ा-लिखा होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि शिक्षा एक एसा शस्त्र है जिससे हम बहुत-सी समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं, चाहे वह समस्या सामाजिक हो या आर्थिक l

छायांकन: कृष्णा मातरिया

लेखन: कृष्णा मातरिया

संपादन: मुहम्मद रूमान


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