बागली प्रगति समिति (स्वयं सहायता समूहों का स्थानीय संघ) के ग्राम बेहरी में राशन वितरण को लेकर पिछले कई सालों से यह समस्या हो रही थी, कि राशन विक्रेता शराब पीकर नशे की हालत में राशन दुकान चलाता था [1] । माह में आधे से ज़्यादा दिन दुकान खोलता ही नहीं था, ऊपर से दो से तीन माह के राशन का एक साथ वितरण करता था, उसमें भी सही मात्रा में राशन तोलकर नहीं देता था । इस सब को लेकर गांव के लोगों ने कई बार शिकायत भी की । इसके बावजूद वह समय पर दुकान नहीं खोला करता । या फिर कई बार वह गांव वालों से अंगूठा लगवा कर बाद में आने बोल देता । तो आख़िर हिस्सेदारी सभा में बात रखी गई [2]।
क्योंकि बात समुदाय पर हो रहे असर की थी, हिस्सेदारी सभा के सदस्यों ने इसका हल निकालने के लिए मुख्य संस्था समाज प्रगति सहयोग (SPS) से जुड़े अपने सहकारी कार्यकर्ताओं से भी बात की । इस मुद्दे को लेकर सभी की राय थी कि मौजूदा दुकानदार को हटाकर उसकी जगह किसी और को नियुक्त करने की ज़रूरत है । जब सभा में ज्योति धनगर के नाम का प्रस्ताव रखा गया, उन्हें राशन दुकान संचालक बनाने को लेकर गांववाले एकमत नज़र आए । स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्य ज्योति को अच्छे से जानती थीं और गांव के लोग उनपर विश्वास करते थे, क्योंकि SPS संस्था में पात्रता स्वास्थ्य एंव पोषण कार्यक्रम की कार्यकर्ता के रूप में ज्योति सराहनीय काम करती आई थीं । सब ने ज्योति को राशन दुकान का कार्य संभालने के लिए प्रोत्साहित किया, और वे इस ज़िम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार हो गईं । फिर हिस्सेदारी सभा में राशन दुकान संचालक के लिए ज्योति धनगर के नाम की प्रस्तावना करते हुए एक आवेदन-पत्र तैयार किया गया, जिसपर सभी उपस्थित सदस्यों ने हस्ताक्षर किया । जनवरी 2024 में हुई ग्राम सभा की बैठक में हिस्सेदारी सभा की लीडर ने ग्राम पंचायत को यह आवेदन दिया । पंचायत के सचिव और सरपंच महोदय ने मुहर और हस्ताक्षर सहित आवेदन की प्राप्ति का सबूत उन्हें सौंपा ।
इसके बाद पुराने राशन विक्रेता ने अपनी पहचान के कुछ लोगों के साथ मिलकर ज्योति धनगर के घर बार-बार जाकर उनको धमकाया कि वे इस पद के लिए अपना आवेदन वापस ले लें, लेकिन संस्था के कार्यकर्ताओं और हिस्सेदारी सभा के सदस्यों के बीच-बचाव ने हालात संभाले । हिस्सेदारी सभा के लगातार समर्थन और प्रयासों से मार्च महीने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की ओर से पंचायत के पास ज्योति धनगर के नाम नियुक्ति पत्र आया, जिसके अनुसार ज्योति के लिए प्रति माह 10,400 रु. मेहनताना तय किया गया था । इसी के साथ समूह की सदस्याओं ने निर्णय लिया कि वे हर माह बारी-बारी से राशन वितरण में ज्योति की मदद किया करेंगी । अंत में, ख़ास बात यह भी है कि ज्योति धनगर गांव की पहली महिला राशन दुकान संचालक हैं । इस इलाके में किसी महिला का इस पद पर होना दुर्लभ ही है।
[1] सरकारी राशन की दुकानों (उचित मूल्य दुकानों) के ज़रिए भारत-भर में गरीबों के लिए प्रमुख अनाज जैसे गेहूं व चावल के अलावा शक्कर, और पकाने के लिए अनिवार्य मिटटी का तेल जैसे ईंधन किफ़ायती दामों पर मुहैय्या करवाए जाते हैं । यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत उपलब्ध सुविधा है, भारत सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य से शुरू की गई योजना. राशन के वितरण में अव्यवस्था या भ्रष्टाचार ग़रीबों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बड़ी मुश्किलें पैदा करते हैं ।
[2] हिस्सेदारी सभा: ये गांव के स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा बुलाई गई मीटिंग होती हैं, जिनमें गांव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है, जैसे सबके लिए पीने का पानी उपलब्ध होना, राशन की दुकान, शौचालय, पेन्शन योजनाएं, प्रधान मंत्री आवास योजना, इत्यादि।
लेखन: करण बछानिया
स्त्रोत: ममता सोलंकी
फोटोग्राफी: ममता सोलंकी और राहुल धनगर