ग्राम कोदबार बुजुर्ग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता राधा सोलंकी बताती हैं कि दो बच्चियां वहां की आंगनवाड़ी में नियमित रूप से आया करती थीं, लेकिन उन्होंने पाया कि 15 दिनों से उनका आना बंद हो गया है । क्योंकि समाज प्रगति सहयोग (एस पी एस) का स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम आंगनवाड़ी केंद्र के अलग-अलग पहलुओं की गुणवत्ता का ख़याल रखते हुए इस बात पर भी ज़ोर देता है कि बच्चों के घरों के दैनिक दौरे नियमपूर्वक हों, राधा सोलंकी कार्यक्रम से जुड़ी कार्यकर्ता प्रीति चंदेल के साथ उन बच्चों के घर गईं । तब जाकर उन्हें पता लगा कि उन्हें प्राइवेट स्कूल में भर्ती कर दिया गया है । यह जानकर कार्यकर्ताएं चिंतित हुईं ।
पालकों की धारणा थी कि प्राइवेट स्कूल थोड़ी अधिक लागत पर बेहतर शिक्षा और सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य अच्छा हो सकता है । जबकि प्रीति की सोच यह थी कि इतने छोटे बच्चों को इतनी कम उम्र में दूर प्राइवेट स्कूल में जाने की ज़रूरत नहीं है । और क्योंकि गांव की आंगनवाड़ी में आने वाले और बच्चों की तरह ये दोनों बच्चे भी मजदूर-किसान परिवारों से थे, प्राइवेट स्कूल पर होने वाले अतिरिक्त खर्च उनके परिवारों के लिए बोझ ही होगा । उन्होंने दोनों बच्चों से भी बात की । बच्चों ने बताया कि वे प्राइवेट स्कूल में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं । बस में जाना पड़ता है और स्कूल का समय लंबा होता है, तो बच्चे इतने छोटे हैं कि थक जाते हैं । कार्यकर्ताओं को लगा कि जब बच्चे थोड़े और बड़े हो जाएं, तब प्राइवेट स्कूल के बारे में दोबारा सोचा व निर्णय लिया जा सकता है ।
पालकों के साथ होने वाली आंगनवाड़ी की मासिक भेंट में कार्यकर्ताओं ने दोनों बच्चों के माता-पिता को आमन्त्रित किया । माता-पिता को आंगनवाड़ी केंद्र में मिलने वाली मूल सुविधाओं का पता तो था ही, पर अब उन्होंने अपनी आंखों से देखा कि गांव की आंगनवाड़ी कितनी सुव्यवस्थित है । उन्होंने यह भी महसूस किया कि आंगनवाड़ी में मिलने वाले नाश्ते, गरम भोजन, खेल की गतिविधियों को पाकर बच्चे कितने ख़ुश हैं । मासिक भेंट में इसका भी ध्यान रखा गया था कि पालक ज़्यादा मात्रा में मौजूद रहें, और उन पालकों ने भी अपने अनुभव साझा किए कि कैसे आंगनवाड़ी में दी गई सीख का फ़ायदा घर पर भी दिखता है । अब बच्चे अपनी चप्पलें यथास्थान पर रखने लगे हैं और खाने के पहले एवं शौच से आने के बाद दर्शाए गए तरीक़े से हाथ धोते हैं । घरवालों को हरी सब्ज़ियों का महत्व समझाते हैं । यूं उन दोनों बच्चों के पालक भी समझ पाए कि न तो प्राइवेट स्कूलों में इतनी सुविधाएं मिलती हैं, न ही उनके बच्चे वहां ठीक से सीख पा रहे हैं । एस पी एस की मदद से यह जानकर कि स्थानीय आंगनवाड़ी बहुत कुशलता से चल रही है, माता-पिता बहुत प्रभावित हुए । यह पास में ही है और भोजन सहित दैनिक समय लगभग तीन घंटों का ही है । तब उन्होंने दोबारा अपने बच्चों को प्रतिदिन आंगनवाड़ी केंद्र भेजने का निर्णय लिया । बच्चे अपने आंगनवाड़ी लौटकर बहुत ही ख़ुश हैं और पालक भी संतुष्ट हैं ।
विभिन्न बाल विकास गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में आंगनवाड़ी केंद्रों द्वारा निभाई गई भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता । आंगनवाड़ी केंद्र सरकारी Integrated Child Development Services (ICDS) यानी एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिन्हें छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लक्ष्य से स्थापित किया गया है । इनके अंतर्गत पूरक पोषण, मौलिक स्वास्थ्य, और प्राथमिक शिक्षा जैसी सेवाएं शामिल हैं । हालांकि, दुर्भाग्यवश, आंगनवाड़ी केंद्र में अक्सर तय नियमों का पालन करने में ढील पड़ जाती है, और अपेक्षित सेवाओं में कमी आ जाती है। लेकिन एस पी एस इस मामले पर ख़ास तवज्जो दे रहा है । संस्था का स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम, जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण को सुधारने के लिए प्रमुख रूप से प्रयासरत है, स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर 283 गांवों में आंगनवाड़ी केंद्रों की निगरानी कर रहा है।
इन सब प्रयासों के फलस्वरूप, 197 आंगनवाड़ी केंद्रों में ICDS की कार्यक्षमता में सुधार आया है। विशेष रूप से, बच्चों को दैनिक पौष्टिक भोजन प्रदान करके कुपोषण के ख़िलाफ़ देश की लड़ाई में आंगनवाड़ियां बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । एक छोटी-सी मिसाल के तौर पर, योजना के तहत कुपोषण से लड़ने के लिए स्थानीय आंगनवाड़ी में प्रतिदिन केले और दूध की व्यवस्था के लिए गांव के लोग स्वयं धन जुटाते हैं । एस पी एस स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम के ज़रिए समुदायों ने प्रशासन पर जो दबाव डाला है, उसके कारण 100 से अधिक नए केंद्र खोले जा चुके हैं । आंगनवाड़ियां न सिर्फ़ सुलभ और किफ़ायती स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं, इनके कार्यकर्ता स्थानीय स्वास्थ्य चिंताओं और संभावित समाधानों में भी अपनी मूल्यवान राय देते हैं । समुदाय के साथ इन कार्यकर्ताओं के गहरे संबंध अनेक स्थानीय कार्यक्रमों की संचार प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं ।
सरकार द्वारा निर्धारित सख्त प्रोटोकॉल के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नियमित रूप से तस्वीरें खींचकर और बच्चों की गिनती, वज़न वगैरह से संबंधित कई तरह के रिकॉर्ड रखने होते हैं, साथ ही आंगनवाड़ी छोड़ने वाले बच्चों पर भी नज़र रखनी होती है । जब वे आंगनवाड़ी में बच्चों की संख्या बनाए रखने में विफल रहते हैं तो वे अपने वरिष्ठों की कड़ी जांच के दायरे में आ जाते हैं । एस पी एस इस कार्यान्वयन को नियमित करने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि रिकॉर्ड रखने का काम सच्चे और ईमानदार ढंग से होता रहे ।
लेखन: अभिषेक मिश्रा
स्त्रोत: मुकेश मुजाल्दे
फोटोग्राफी: प्रीति चन्देल और कृष्णा कुशवाह