Issue 58 – निरंतर प्रयास से मिला रोज़गार


खरगोन ज़िले की पलासी पंचायत के चिकलवास गांव की महिलाएं बहुत समय से पंचायत से काम की मांग कर रही थीं | गांव के लोगों को दिहाड़ी मजदूरी के काम की बहुत ज़रूरत रहती है, क्योंकि यहां के अधिकांश लोग या तो सीमांत किसान हैं, या भूमिहीन खेतिहर मजदूर । इन दोनों श्रेणियों के लोग जीवित रहने के लिए दिहाड़ी पर निर्भर हैं । सरपंच व रोजगार सहायक[1] से महिलाएं कई बार बोल चुकी थीं कि उनके गांव में सिर्फ़ सीज़न पर ही काम चलता है, बाक़ी समय उन्हें काम की तलाश में खंडवा, इंदौर या फिर गुजरात के शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है । उन्हें पंचायत कोई काम दे । हर बार पंचायत से एक ही जवाब मिलता, उच्च अधिकारियों की तरफ़ से पंचायत में कोई काम आ ही नहीं रहा, तो कहां से काम दें ।


हिस्सेदारी सभा

लेकिन संयोग से, एक दिन गांव की कुछ महिलाओं को पता चला कि पंचायत में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना के तहत तालाब खोदने का काम आया है, पर सरपंच उस तालाब को रात-रात में मशीन के द्वारा खुदवा रहा है । उस दौरान मई महीने में हिस्सेदारी सभा[2] की बैठक हुई, जिसमें गांव की महिलाओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मनरेगा योजना गांव के लोगों के लिए रोज़गार की गारंटी देती है, अगर इसी तरह मशीन से काम चलता रहा तो हम मजदूरों का क्या होगा? हमारे घर कैसे चलेंगे? हिस्सेदारी सभा की लीडर्स ने निर्णय लिया कि वे उसी दिन सरपंच से इस बारे में बात करेंगीं ।

हिस्सेदारी सभा

चिकलवास गांव की सारी महिलाओं ने हिस्सेदारी सभा की लीडर्स के साथ पंचायत में अपनी समस्या रखी और कहा, मनरेगा के तहत जो तालाब का काम आया है उसको मशीन से न खुदवाएं, गांव के लोगों को काम की बहुत ज़रूरत है, यह काम उन्हीं को दें । लेकिन सरपंच इस बात के लिए बिलकुल राज़ी न हुआ ।

महिलाओं ने अपनी सारी समस्या पात्रता स्वास्थ्य एवम पोषण कार्यक्रम के कार्यकर्ता मोहन परिहार को बताई । मोहन ने महिलाओं से उनके जॉब कार्ड के बारे में पूछा, तो पता चला कि कार्ड तीन साल से सरपंच के ही पास पड़े हुए हैं, कई बार मांगे जा चुके हैं परन्तु सरपंच वापस देने से इनकार करता है । काम मांगने वाले के पास जॉब कार्ड होना ज़रूरी है । यह कार्ड क़ानूनी रूप से पंजीकृत परिवारों को काम के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है, प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, और श्रमिकों को धोखाधड़ी से बचाता है । मोहन ने समझाया कि यदि किसी आवेदक को 15 दिनों के भीतर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाए तो वह बेरोज़गारी भत्ते का हक़दार बन जाता है । उन्होंने सलाह दी कि सब पंचायत के दफ़्तर जाकर फिर से अपने जॉब कार्ड मांगें।

पंचायत दफ़्तर

पंचायत दफ़्तर पहुंचकर गांव की महिलाओं ने सरपंच से कहा कि जब तक उनके जॉब कार्ड नहीं मिलेंगे वे वहां से वापस नहीं जाएंगीं । दोनों पक्षों में लंबे समय तक बहस चलने के बाद, महिलाओं ने सरपंच को जॉब कार्ड दे देने के लिए मजबूर कर ही दिया । कार्ड मिल जाने पर सबने सरपंच को फिर याद दिलाया कि मनरेगा का काम मशीन से करवाने का प्रावधान नहीं है,[1] यह नियम के विरुद्ध है । अगर अब भी काम नहीं मिला तो वे चिकलवास गांव की बड़ी, यानी जनपद पंचायत, जो कि भिकनगांव में है, वहां जाकर शिकायत दर्ज कर देंगीं । तब सरपंच थोड़ा डरा । उसने आश्वासन दिया कि अब सारा काम मजदूरों से ही होगा – जिसको भी तालाब पर काम करना है, वे अगले दिन सुबह आ जाएं । अब से मशीन नहीं, केवल मजदूर काम करेंगे ।

मनरेगा के तहत तालाब पर काम करते हुए


मनरेगा योजना का आधार ही मानव श्रम है । इसका लक्ष्य है ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोज़गार की गारंटी देना । इसके तहत निर्माण कार्यों में विशेष तौर पर बेरोज़गार ग्रामीणों को मजदूरी देनी होती है, ताकि उनकी आजीविका ठीक ढंग से चल सके । चिकलवास गांव की हिस्सेदारी सभा की लीडर्स और बाक़ी महिलाओं के प्रयास से 55 मजदूरों को मनरेगा के तहत रु. 243 प्रति दिन की तय रकम के हिसाब से तालाब पर 30-35 दिन का रोज़गार मिला । यह तालाब वन विभाग की सरकारी ज़मीन पर बारिश का पानी जमा करने के लिए बनाया गया है ।

[1] वह अफ़सर, जिसका काम होता है पंचायत के स्तर पर सरकारी योजनाओं के तहत उपलब्ध रोज़गार के विभिन्न पहलुओं को संभालना ।  

[2] ये गांव के स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा बुलाई गई मीटिंग होती हैं, जिनमें गांव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है, जैसे सबके लिए पीने का पानी उपलब्ध होना, राशन की दुकान, शौचालय, पेन्शन योजनाएं, प्रधान मंत्री आवास योजना, इत्यादि ।

[3] मनरेगा अधिनियम के अनुसार जिस काम को करने में मजदूर सक्षम हैं उस काम के लिए मशीनों का उपयोग करना नियम के विरुद्ध है, “और श्रम को विस्थापित करने वाली मशीनों का उपयोग नहीं किया जाएगा।” हालांकि कई कार्य या गतिविधियां हो सकती हैं जो मजदूरों से करवा पाना संभव न हो – ऐसी स्थिति में कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीनों का उपयोग किया जा सकता है ।

लेखन: रोशनी चौहान

स्त्रोत: साक्षी कुशवाह

फोटोग्राफी: साक्षी कुशवाह और बंटी मीना


Read more:

en_USEnglish